अनुभूति में
महेन्द्र हुमा की रचनाएँ-
अंजुमन में-
दुनिया से यार
बस्ती को आग
बाबा दादी
माँ ने रुई को घी बतलाकर
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दुनिया से यार
दुनिया से यार प्यारो-वफा कौन ले गया
दम घुट रहा है, ताजा हवा कौन ले गया
शहनाइयों के बीच जो कल ही दुल्हन बनी
उसकी हथेलियों से हिना कौन ले गया
ज्हरीली आँधियों से चमन कैसे घिर गया
वो खुश-खि़राम बादे-सबा कौन ले गया
ये जिस्म की नुमाइशें, सिकुड़े हुए लिबास
निस्वानियत की शर्मो-हया कौन ले गया
हक-तल्फ़ियों का दौर था, पर तुम वहाँ पे थे।
दामन पसारा मैंने, दुआ कौन ले गया
मैंने अमीरे-शहर से पूछा, वो चुप रहा
मेहनत तो की ’हुमा‘ ने, सिला कौन ले गया!
२६ नवंबर २०१२ |