अनुभूति में
कलीम आनंद की रचनाएँ
अंजुमन में-
अब जो अंधे कुएँ में
गाँव में
चिलचिलाती धूप
सुलगती आग-सा
हवा मौसम
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गाँव में
गाँव में कुछ ऐसा मंजर था
साँस भी लेना तक दूभर था
किस-किस से वह छिपता फिरता
पानी, आग, हवा का डर था।
चिंताओं में उम्र गुजारी
काँटों जैसा राहगुज़र था।
जिसको ढूँढा मंदिर-मस्जिद
वो अपने दिल के अंदर था।
८ जून २०१५ |