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अनुभूति में कलीम आनंद की रचनाएँ

अंजुमन में-
अब जो अंधे कुएँ में
गाँव में
चिलचिलाती धूप
सुलगती आग-सा
हवा मौसम

 

 

अब जो अंधे कुएँ में

अब जो अंधे कुएँ में झाँके हैं
वो उजालों से डरके भागे हैं।

वक्त शीशे का इक घरौंदा है
लोग ऊँचाइयों पे टाँगे हैं।

आसमाँ चुप है आज भी लेकिन
पर्वतों पर धुएँ कहाँ के हैं।

उन दरख़्तों से क्या मिलेगा अब
जिनके साये भी तो हवा के हैं।

शक्ल कैसी है और है किसकी
आईने देख भूल जाते हैं।

८ जून २०१५

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