अनुभूति में
सर्वत जमाल की रचनाएँ-
अंजुमन में-
आराम की सभी को है आदत
पता चलता नहीं
लिखते हैं
हर कहानी चार दिन की
होगी तेरी धूम
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पता चलता नहीं
पता चलता नहीं दस्तूर क्या है
यहाँ मंज़ूर, नामंजूर क्या है
कभी खादी, कभी खाकी के चर्चे
हमारे दौर में तैमूर क्या है
गुलामी बन गयी है जिनकी आदत
उन्हें चित्तौड़ क्या, मैसूर क्या है
नहीं है जिसकी आँखों में उजाला
वही बतला रहा है नूर क्या है
बताओ रेत है, पत्थर कि शीशा
किया है तुम ने जिस को चूर, क्या है
यही दिल्ली, जिसे दिल कह रहे हो
अगर नजदीक है तो दूर क्या है
वतन सोने की चिड़िया था, ये सच है
मगर अब सोचिए मशहूर क्या है
१५ नवंबर २०१० |