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अनुभूति में सर्वत जमाल की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आराम की सभी को है आदत
पता चलता नहीं
लिखते हैं
हर कहानी चार दिन की
होगी तेरी धूम

 

आराम की सभी को है आदत

आराम की सभी को है आदत, करेंगे क्या
यह सल्तनत परस्त बगावत करेंगे क्या

मरने के बाद चार अदद काँधे चाहिए
कुछ रोज़ बाद लोग ये ज़हमत करेंगे क्या

मजहब की ज़िन्दगी के लिए खून की तलब
हम खून से नहा के इबादत करेंगे क्या

खुद जिनकी हर घड़ी यहाँ खतरे में जान है
वो लोग इस वतन की हिफाजत करेंगे क्या

तक़रीर करने वालों से मेरा सवाल है
जब सामने खड़ी हो मुसीबत, करेंगे क्या!

१५ नवंबर २०१०

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