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अनुभूति में दिल अंबर जोशी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
छा गई
पानी नहीं है इतना
फलसफ़ा तेरा

 

 

छा गई

छा गई ग़म की जो काली रात ढलनी चाहिये
सुब्ह अब ख़ुशियों की जीवन में निकलनी चाहिये।

रौशनी हर सम्त चाहे आप करते जाइए
शम्अ उल्फ़त की भी लेकिन दिल में जलनी चाहिये।

आपके कारण किसी के दिल को जो छलनी करे
बात ऐसी कोई न दिल से निकलनी चाहिये।

मुद्दतो से लड़खड़ाती जा रही है दोस्तो
ज़िंदगी लेकिन हमारी अब संभलनी चाहिये।

हो गई है इंतिहा ‘अम्बर’ हमारे दर्द की
अब ये शम्अ दर्द की अपनी पिघलनी चाहिये।

२१ फरवरी २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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