सोच रहे सब
सोच रहे सब, पूछे कौन
इस घटना के पीछे कौन
सबके ही शीशे के घर
आखिर, पौधा सींचे कौन
फल खाने को बैठे सब,
लेकिन, आगे आए कौन
दीवाना सच कहता है
लेकिन उसकी माने कौन
चाकू सबके हाथों में,
सुलझाएगा झगड़े कौन
सबके सब ही हाकिम हैं,
हुक्म किसी का माने कौन!
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