जिस पर पैनी
धार नहीं है
जिस पर पैनी धार नहीं है
वह मेरी तलवार नहीं है
जिसको मेरी नहीं ज़रूरत
वह मेरा संसार नहीं है
पड़ा जूझना हर पल मुझको
समझौता स्वीकार नहीं है
दुश्मन आखिर दुश्मन ही है
माना, वह खूँखार नहीं है
जैसे, बिन पानी के बादल
रिश्ते हैं, पर प्यार नहीं हैं
दुर्लभ हैं घर ऐसे, जिनके
आँगन में दीवार नहीं है
जीना तो लाजिम है, लेकिन
जीने का अधिकार नहीं है
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