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बल्ली सिंह चीमा

जन्म २ सितम्बर, १९५२ को चीमाखुर्द गाँव, अमृतसर ज़िला, पंजाब में।
शिक्षा- स्नातक के समकक्ष प्रभाकर की डिग्री 'गुरु नानक विश्वविद्यालय', अमृतसर से

कार्यक्षेत्र-
चाहे उत्तराखंड आंदोलन रहा हो या फिर राज्य बनने से पूर्व शराब विरोधी आंदोलन, सभी में
बल्ली सिंह अपनी कविताओं के साथ जनता के मध्य उपस्थित रहे। बल्ली सिंह चीमा अपनी
जमीन से जुड़े हुए जनकवि हैं। कृषि एवं स्वतंत्र पत्रकारिता दोनों को ही इन्होंने समान रूप से
अपनाया है।

प्रकाशित कृतियाँ-
ख़ामोशी के ख़िलाफ़, जमीन से उठती आवाज़, तय करो किस ओर हो तुम, ग़ज़लें तथा गीत,
हिलाओ पूँछ तो करता है प्यार अमरीका, मैं अमरीका का पिठ्ठू और तू अमरीकी लाला है, ले
मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के, बर्फ़ से ढक गया है पहाड़ी नगर, कूलरों को क्या पता कि
बहती हवा क्या चीज़ है, ऐसा भी हो सकता है

पुरस्कार व सम्मान
चीमा जी को 'देवभूमि रतन सम्मान' (२००४), 'कुमाऊँ गौरव सम्मान' (२००५), 'पर्वतीय
शिरोमणि सम्मान' (२००६), 'कविता कोश सम्मान' (२०११) से सम्मानित किया गया है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन की जटिल चुनौती को पूरी रचनात्मक सक्रियता से स्वीकार करने वाले बल्ली सिंह चीमा को 'केंद्रीय हिंदी संस्थान' के 'गंगाशरण सिंह पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है।

 

अनुभूति में बल्ली सिंह चीमा की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अब तो फिर
धूप से सर्दियों में

रोटी माँग रहे लोगों से
ले मशालें चल पड़े हैं
साज़िश में वो ख़ुद शामिल हो


 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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