अनुभूति में
अरुण शर्मा अनंत
की
रचनाएँ-
अंजुमन में—
अजब हालात हैं
भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण राम
मुग्धकारी भाव
यहीं सुख दुख
हृदय में शुद्धता |
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यहीं सुख
दुख
यहीं सुख दुख अहम चिंतन मनन धन छूट जाएगा.
फिसलकर एक दिन हाथों से जीवन छूट जाएगा।
निकट है अंत को अपनी पुरातन सभ्यता संस्कृति,
अधर अंग्रेज होंगे स्वर कि व्यंजन छूट जाएगा।
किसी भी शर्त पर आगे निकल जाने की इच्छा में,
अनुजता छूट जाएगी बडप्पन छूट जाएगा।
बदलती सोच में कृत्रिम बढ़ेगी वेशभूषा यूँ,
खिसक कर शीश से लज्जा का बंधन छूट जाएगा।
बरसने को हुए आतुर अनिश्चित काल तक आँसू,
किसी भी क्षण छलक नैनों का सावन छूट जाएगा।
६ अक्तूबर २०१४ |