अनुभूति में
अरुण शर्मा अनंत
की
रचनाएँ-
अंजुमन में—
अजब हालात हैं
भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण राम
मुग्धकारी भाव
यहीं सुख दुख
हृदय में शुद्धता |
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भरत शत्रुघ्न
लक्ष्मण राम
भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण राम से भाई नहीं मिलते।
मुझे अब प्रेम के अक्षर कहीं ढाई नहीं मिलते।
दुशाशन और रावण से भरा संसार यह सारा,
नज़र कृष्णा नहीं आते कि रघुराई नहीं मिलते।
बड़ी संख्या में आबादी हमारे देश की लेकिन,
युधिष्ठिर भाँति कोई धर्म अनुयाई नहीं मिलते।
प्रतिज्ञा सत्यता इन्साफ मर्यादा की खाते हैं,
मगर अपने कथन पर लोग स्थाई नहीं मिलते।
सलीका मुस्कुराने का दुखों में फूल से सीखो,
जिन्हें दो चार क्षण जीवन में सुखदाई नहीं मिलते।
६ अक्तूबर २०१४ |