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अनुभूति में अनिरुद्ध सिन्हा की रचनाएँ

अंजुमन में-
गुज़रे दिनों
घर की नाज़ुक बातों से
मजबूरियाँ के खौफ़
मेरी आँखों में आँसू हैं
मौसमे-गुल
सर्दी की तेज़ लू में

 

गुज़रे दिनों

गुज़रे दिनों की एक मुकम्मल क़िताब हूँ
पन्ने पलट के देखिए मैं इंकलाब हूँ

मुमकिन पतों के बाद भी पहुँचे न जो कभी
वैसे ख़तों का लौट के आया जवाब हूँ

ऐसा लगा कि झूठ भी सच बोलने लगा
पीकर न होश में रहे, मैं वो शराब हूँ

हद से कहीं हँसा न दें मेरी कहानियाँ
इक मुख़्तसर-सी रात का नन्हा-सा ख़्वाब हूँ

माली ने ही सलीके से टहनी मरोड़ दी
इल्ज़ाम सिर लगा मेरे, मैं तो गुलाब हूँ!

२४ अगस्त २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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