क्योंकर तुम्हें
गुमान
क्योंकर तुम्हें गुमान है साहिब
मेरा भी भगवान है साहिब
हम-तुम हैं सौदागर इसके
दुनिया एक दुकान है साहिब
मुझ पर और नहीं कुछ पूँजी
टूटा एक मकान है साहिब
दरपन को मत पत्थर मारो
ये सबकी पहचान है साहिब
जब बोलूँगा सच बोलूँगा
सच मेरा ईमान है साहिब
तुम ‘अनिरुद्ध’ जिसे कहते हो
वो अच्छा इन्सान है साहिब
३० जून २०१४ |