दिल के सोये हुए
जज्बात
दिल के सोये हुए जज़्बात जगा देता हूँ
मैं इन्क़िलाब को लाने की सदा देता हूँ
तुमने समझा ही नहीं मेरी कला को ऐ दोस्त
मैं तो पत्थर को भी भगवान बना देता हूँ
जुल्म सहकर भी गवारा नहीं मुझको नफ़रत
मैं फ़क़ीरों की तरह सबको दुआ देता हूँ
लक्ष्य से हट नहीं सकता है इरादा मेरा
जो भी करना है उसे करके दिखा देता हूँ
मुझको अच्छी नहीं लगती है ख़मोशी हरदम
इसलिए जब कभी कोहराम मचा देता हूँ
मैं हूँ‘अनिरुद्ध’ मेरा काम है बस राहबरी
भूले भटकों को मैं मंज़िल का पता देता हूँ
३० जून २०१४ |