अनुभूति में
अनिल कुमार जैन की रचनाएँ-
अंजुमन में-
किताबें
गर्दिश में वो कोसों दूर
जख्म खाकर मुसकुराना
ज्वालामुखी तो चुप है
थक गया हूँ मैं बहुत
लड़कियाँ
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लड़कियाँ
सुब्ह को चलती हवा की, ताज़गी हैं लड़कियाँ
चहचहाती बुलबुलों के, गीत सी हैं लड़कियाँ
हक़ है जीने का इन्हें भी, जन्म लेने दें इन्हें
ज़िन्दगी का गीत भी हैं, साज़ भी हैं लड़कियाँ
माँ, बहिन, पत्नी सभी ये लड़कियों के रुप हैं
कैसे इनके बिन जियोगे, ज़िन्दगी हैं लड़कियाँ
क्या सियासत, क्या तिज़ारत, हर जगह हैं कामयाब
हर मुसीबत से निपटने को खड़ी हैं लड़कियाँ
इल्मो-फ़न में कम नहीं हैं, हर हुनर में होशीयार
इस ज़मी से आसमाँ तक, छा रही हैं लड़कियाँ
सर अक़ीदत से झुके रहते हैं, जिनके सामने
शारदा, दुर्गा, भवानी, लक्ष्मी हैं लड़कियाँ
२३ जून २०१४ |