बज़्म थी तारों की
बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था
धूम थी रानाइयों की दिल मेरा तन्हा भी था
इक नदी थी नाव भी थी और था मौसम हसीं
साथ तुम थे बाग़ गुल थे इश्क मस्ताना भी था
यार की गलियाँ गया मैं फिर से लेकर आरज़ू
कुछ पुराने ख्वाब थे हर सिम्त वीराना भी था
कैसे - कैसे लोग मिलते हैं यहाँ देखो सही
बात में चीनी घुली थी दिल मगर काला भी था
वो अज़ब ही दौर था हर बात पर हँसते थे हम
ज़िन्दगी गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था
१० फरवरी २०१४
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