अनुभूति में आदम
गोंडवी की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
आप कहते हैं
ग़ज़ल को ले चलो
चाँद है जेरे कदम
जिसके सम्मोहन में
न महलों की बुलंदी से
भूख के इतिहास को
अंजुमन में-
काजू भुने प्लेट में
घर में ठंडे चूल्हे पर
तमाशा देखिए
मुक्तिकामी चेतना
विकट बाढ़ की करुण कहानी
वेद में जिनका हवाला |
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आप कहते हैं
आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िन्दगी
हम ग़रीबों की नज़र में इक क़हर है ज़िन्दगी
भुखमरी की धूप में कुम्हला गई अस्मत की बेल
मौत के लम्हात से भी तल्ख़तर है ज़िन्दगी
डाल पर मज़हब की पैहम खिल रहे दंगों के फूल
ख़्वाब के साये में फिर भी बेख़बर है ज़िन्दगी
रोशनी की लाश से अब तक जिना करते रहे
ये वहम पाले हुए शम्सो-क़मर है ज़िन्दगी
दफ़्न होता है जहाँ आकर नई पीढ़ी का प्यार
शहर की गलियों का वो गंदा असर है ज़िन्दगी
१९ दिसंबर २०११ |