अनुभूति में
अभिषेक कुमार सिंह की
रचनाएँ- अंजुमन में-
कभी आँसू कभी मुस्कान
डूब गया
बख़ूबी जानते हैं ये
मिट्टी चाहे दोमट
सफर
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मिट्टी चाहे
दोमट
मिट्टी चाहे दोमट हो या काली हो
जीव जगत को जीवन देने वाली हो
मातम का माहौल बनाना ठीक नहीं
वर्षों से रूठी चाहे खुशहाली हो
भूखे, नंगे, व्याकुल हाथों में आखिर
शोभित कैसे यह पूजा की थाली हो
चेहरे पर मुस्कान सजा कर क्या होगा
अंतर्मन में छायी जब बदहाली हो
सूखी धरती की अलसाई महफ़िल में
रिमझिम-रिमझिम बूँदों की कव्वाली हो
हर दिल की धड़कन में भारत बसता है
उड़िया, कन्नड़, सिंधी या मलयाली हो
१ फरवरी २०१९ |