अनुभूति में
अभिषेक कुमार सिंह की
रचनाएँ- अंजुमन में-
कभी आँसू कभी मुस्कान
डूब गया
बख़ूबी जानते हैं ये
मिट्टी चाहे दोमट
सफर
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डूब गया
मेरे अंदर जब मेरा डर डूब गया
दिल पर रक्खा भारी पत्थर डूब गया
जाँता, ढेकी, फूस का छप्पर डूब गया
माँ बाबा के सपनों का घर डूब गया
चीखों का सैलाव उमड़ कर आया जब
कोलाहल में करूणा का स्वर डूब गया
बुनियादी मुद्दा जब आया प्रश्नों में
खामोशी में, हँसता उत्तर डूब गया
फिर आऊँगा एक सहर को साथ लिए
शाम का सूरज इतना कहकर डूब गया
डूब गया जब अंतर्मन का कोलाहल
रूह के दरिया में तब पैकर डूब गया
लाँघ गया जब दर्द विकलता की सीमा
खुद के भीतर एक सुख़नवर डूब गया
१ फरवरी २०१९ |