पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. ७. २०२३  

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलन अभिव्यक्ति
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भरगड्डा की मोड़ी

 

 

भरगड्डा की मोड़ी
चलते हँसते बतियाये वो
मुरका-मुरका ठोड़ी
भरगड्डा की मोड़ी

ताड़न वालों की ताड़ी है
रूप लदी, खुश्बू गाड़ी है
जितना ढाँके उतना झाँके यौवन होड़ा-होड़ी
भरगड्डा की मोड़ी

चट चौबे की बीड़ी ला दे
रोती मुनिया चुप करवा दे
कमसिन-कमसिन, जादू है वो, आफत थोड़ी थोड़ी
भरगड्डा की मोड़ी

चीटा चाटें डली नहीं है
बिन काँटों की कली नहीं है
बिल्ली से डरते वो कुत्ते, जिनकी नोची ठोड़ी
भरगड्डा की मोड़ी

- डॉ. अरुण तिवारी गोपाल
इस माह

गीतों में-

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डॉ अरुण तिवारी गोपाल

अंजुमन में-

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मधु शुक्ला

छंदमुक्त में-

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नीरज नीर

दिशांतर में-

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अमेरिका से नीलम जैन

छोटे छंद में-

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निवेदिता निवी के हाइकु

पुनर्पाठ में-

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चंद्रप्रकाश पांडेय
 

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विगत माह
जून के अंक में

 गीतों में सुशील शर्मा, अंजुमन में प्रवीण पारीक अंशु, छंदमुक्त में खेमकरण सोमन, दिशांतर में मलेशिया से दिगंबर नसवा के दोहे, छोटे छंद में बालकृष्ण गुप्ता गुरू की क्षणिकाएँ, पुनर्पाठ में बुलाकीदास बावरा की रचनाएँ
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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन / गजल संपादक- भूपेन्द्र सिंह
     

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