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भरगड्डा की
मोड़ी |
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भरगड्डा की मोड़ी
चलते हँसते बतियाये वो
मुरका-मुरका ठोड़ी
भरगड्डा की मोड़ी
ताड़न वालों की ताड़ी है
रूप लदी, खुश्बू गाड़ी है
जितना ढाँके उतना झाँके यौवन होड़ा-होड़ी
भरगड्डा की मोड़ी
चट चौबे की बीड़ी ला दे
रोती मुनिया चुप करवा दे
कमसिन-कमसिन, जादू है वो, आफत थोड़ी थोड़ी
भरगड्डा की मोड़ी
चीटा चाटें डली नहीं है
बिन काँटों की कली नहीं है
बिल्ली से डरते वो कुत्ते, जिनकी नोची ठोड़ी
भरगड्डा की मोड़ी
- डॉ. अरुण तिवारी गोपाल |
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