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५. १२. २०११

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चलो रैली में

सूरज फिर
से हुआ लाल है

चलो, भाई चलो...
रैली में
मसीहा ने बुलाया है

खेत के, खलिहान के
सब काम छोड़ो
बैनरों से-पोस्टरों से
नाम जोड़ो
चलो
देखो-
महल सपनों का
मसीहा ने बनाया है

पेट भरने को
मधुर भाषण वहाँ हैं
ओढ़ने को-
ढेर आश्वासन वहाँ हैं
चलो-
सुनने
फिर मसीहा ने
प्रगति का गीत गया है

हम वहाँ झंडे
कभी नारे बनेंगे
जलूसों के बीच
जयकारे बनेंगे
हम इसी के
वास्ते हैं-
यह मसीहा ने बताया है।

--जय चक्रवर्ती

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग : दीपिका जोशी

 
   
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