प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित
 
पत्र व्यवहार का पता

  ९. ५. २०११

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति
हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला

1
क्षण अकेला 1

 

क्षण अकेला भीड़ में,
कटता नहीं काटे।

हर घड़ी उपलब्धियों की,
यहाँ चर्चाएँ।
योजनाएँ लाभ की,
अपनी व्यवस्थाएँ
रात दिन चलती निरंतर
अर्थ मुद्राएँ

देखता पर कौन,
मेरे हाथ के घाटे?

पूछते सब हाल,
मन का राज लेने को
मर्ज पैदाकर,
दवा का दर्द देने को
डोलते सब फाँस,
अपनी निकलवाने को।

देखता पर कौन
मेरे पाँव के काँटे?

- बाबूराम शुक्ल

इस सप्ताह

गीतों में-

अंजुमन में-

छंदमुक्त में-

हाइकु में-

पुनर्पाठ में-

पिछले सप्ताह
२ मई २०११ के अंक में

गीतों में-
शशि पाधा

अंजुमन में-
वीनस केसरी

छंदमुक्त में-
अशोक कुमार पाण्डेय

मुक्तक में-
रामदरश मिश्र

पुनर्पाठ में-
सुकीर्ति गुप्ता

अन्य पुराने अंक

अंजुमनउपहार काव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्तिहास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतरनवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

अपने विचार — पढ़ें  लिखें

Google

 

Search WWW  Search anubhuti-hindi.org


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग : दीपिका जोशी

 
 
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०