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बौर आए
देखिए तो
किस कदर फिर
आम-अमियों बौर आए।धूप पीली चिट्ठियाँ
घर-आँगनों में
डाल हँसती-गुनगुनाती
है वनों में
पास कलियों
फूल-गंधों के
सिमट सब छोर आए।
बंदिशें टूटी
प्रणय के रंग बदले
उम्र चढ़ती ज़िंदगी के
ढंग बदले
ठेठ घर में
घुस हृदय के
रूप-रस के चोर आए।
--इसाक अश्क
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इस सप्ताह
गीतों में-
इसाक अश्क
अंजुमन में-
राजेन्द्र
पासवान घायल
छंदमुक्त में-
हर्ष कुमार
दिशांतर में-
सरिता नेमानी
क्षणिकाओं में-
नरेश सक्सेना
पिछले सप्ताह
होली विशेषांक में
दोहों में-
पूर्णिमा वर्मन, राजेंद्र गौतम,
सुनीता चोटिया गीतों में-
अशोक कुमार
वशिष्ठ,
संतोष कुमार सिंह,
रामेश्वर दयाल कांबोज 'हिमांशु’,
पारुल चाँद पुखराज,
महेंद्र भटनागर,
राजेंद्र गौतम १
- २,
डॉ० तारादत्त 'निर्विरोध,
डॉ. अशोक आनन 'गुलशन' अन्य छंदों में-
अरुण मित्तल का
कवित्त,
सतीश चंद्र उपाध्याय का पद,
अरविंद चौहान
के हाइकु छंदमुक्त में-
गुरमीत बेदी,
स्वाती भालोटिया,
रजनी भार्गव,
उमा मालवीय हास्य
व्यंग्य में-
भुवनेश कुमार,
तरुण जोशी संकलन में- होली की कविताओं से रंगीन
संकलन होली है तथा
1अन्य पुराने अंक
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