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ग्रीष्म महोत्सव
२००२

संकलन
गुच्छे भर अमलतास

अलसा महीना 



धूप खिल
ही गई करती नखरे हजार
गर्म साँसें लुटाता
अलसा महीना

होंठो पे
खिल कर महका पसीना
शृंगार जैसे कुंदन नगीना
रेंगता जिस्म पर
सरसराता हुआ
याद करता है बिछड़े हुए देस की
बैसाख और जेठ का ये
महीना

बरगद की
छाया गंगा किनारे
झुकी आम की बौर से सारी डालें
दहकती दोपहरी
उपवन में ठिठका
धारा की कलकल को गाता महीना
हवाओं की सर सर सुनाता
महीना

वो झूलों
की पेंगे नभ तक चढ़ाना
सखियों के संग छत पे हँसना हँसाना
झगड़ना कभी तो
कभी गुनगुनाना
सितारों के नीचे चादर बिछाना
सुराही घड़ों से सजता
महीना

— नीलम जैन

 

        सूची
अचानक
अटके संवाद
अप्रैल और बरसात
अलसा महीना
अहं व्याघ्र
आई पगली
आतप
कटघरे में
किरनों के गीत
गर्मियों की एक शाम
गर्मी की एक दोपहर
गर्मी में सूखते हुए कपड़े
गर्मी है अनमोल
ग्रीष्म आया
ग्रीष्म की एक रात
ग्रीष्म की बयार
ग्रीष्म गुजरात
चल रही उसकी कुदाली
जल रहा जिया
जेठ आया
जेठ का पवन
झुलसने का मौसम
तपन
दिन में पूनम का चाँद
दुपहरी थी जेठ की
धूप में
धूल भरी दोपहरी
पतझर
प्रबोध
पुस्तकालय में झपकी
बूढ़ा लकड़हारा
भर गुच्छे अमलतास
मरुधरा
मेरा गाँव
मैं क्या करूँगी
रेत पर विश्राम
विदा के बात प्रतीक्षा
विरक्ति
सनटैन लोशन
साँझ
सूरज की पेशी
सोचती हूँ
सोनहली के सोनपुष्प
हवाई
१२ छोटी कविताएँ—
छोटी कविताएँ
१० क्षणिकाएँ
और अंत में 
धन्यवाद

 

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