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                    अनुभूति में 
                    सचिन त्रिपाठी 
                    की रचनाएँ— 
                    हास्य व्यंग्य में- 
                    इंटरव्यू 
                    कसाई 
                    धन्नो 
                    भूत 
                    सपना 
                      
                  
                    
                  
                    
                  
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 इंटरव्यू 
इंटरव्यू चल रहा था 
मैं भी लाइन में खड़ा था 
मेरा नंबर आया 
मुझको अंदर बुलाया 
मैंने पाँच वर्ष का अनुभव 
और सारी डिगरियाँ दिखाई 
ये नहीं है काफ़ी 
ये बात उन्होंने मुझको समझाई 
कहने लगे 
कुछ और लाए हो तो दिखाओ 
नहीं तो चलते नज़र आओ 
मैंने कहा नहीं नहीं 
इस कंपनी में एम. डी. है मेरे मामा 
कहने लगे 
पहले क्यों नहीं बताया ये झामा 
बेकार में डिगरियाँ दिखा रहे हो 
पहले से क़ाबिल आदमी नज़र आ रहे हो 
अब ये नौकरी आप की है 
कंपनी आपके बाप की है 
जब चाहे आएँ 
जब चाहे चले जाएँ 
क्या वेतन चाहते हैं 
हमको बताएँ 
मुझको मेरा केबिन दिखा दिया 
एपॉइंटमेंट लेटर थमा दिया 
बड़ी इज़्ज़त के साथ मुझको विदा किया 
मामा की पोस्ट ने बड़ा मज़ा दिया। 
09 फरवरी 2007 
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