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अनुभूति में अखिलेश सिन्हा की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
मोक्ष
प्रेम
हिन्दू मुस्लिम

  मोक्ष

बड़ी सहजता से कल
जला ड़ालीं उसने
पाठशाला की पुस्तकें
हर एक पुस्तक से
निकली धुन एक निराली सी
बढ़ती ही गयी जो
लपटों के संग संग
उस पर गीत मादक गाए
उन अधजली पुस्तकों के
थिरकते बहकते पन्नों ने
और मैं
चकित
विस्मृत
आह्लादित
उन खूबसूरत लपटों से लिपट
बेहिसाब नाच उठा।

१ जनवरी २००१

 

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