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अखिलेश सिन्हा

मेरी प्रारंभिक शिक्षा उड़ीसा के औद्योगिक नगर राउरकेला में हुई। बचपन से ही साहित्य में अभिरूचि पर राउरकेला के औद्योगिक वातावरण ने तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया और १९८९ से १९९३ तक का समय इलाहाबाद के रीजनल इंजीनिअरिंग कॉलेज में बीता।

अगला कुछ समय मुम्बई में भारत के प्रमुख औद्योगिक संस्थान लार्सन व टूब्रो में यह अहसास करने में लगा कि इंजीनिअरिंग अपने वश की बात नहीं। अतः एम बी ए करने की सूझी और दो वर्ष जेविअर्स इन्सटिच्यूट ऑफ मैनेजमेंट भुवनेश्वर मे बीते। इसके बाद से जीवन काफी सहज और सुखप्रद रहा है। प्राइसवाटरहाउसकुपर्स ने भारत के प्रमुख शहरों में थोड़ा थोड़ा जीवन चुनने की आजादी दी और वहॉं के खट्टे मीठे अनुभव सहेज मैं कॅलिफोर्निया आ गया।
 
यहाँ आकर हिन्दी से दुबारा मुलाकात हुई। और यह प्रेम इस कदर बढ़ा कि अब मेरी भावी पत्नी मनीषा को शिकायत है कि मेरे पास उसके लिए वक्त नहीं है। कोई उसे कैसे समझाए कि—
मेरे शब्दों की जननी तुम हो
मेरी कविता में बोल तुम्हारे हैं
मिलेगी तुम्हें तुम्हारी ही छवि प्रतिध्वनि
जो गौर से देखो इन्हें
और जरा गुनगुनाओ।

ईमेल- akhileshsinha@boloji.net

 

अनुभूति में अखिलेश सिन्हा की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
मोक्ष
प्रेम
हिन्दू मुस्लिम

 

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