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अनुभूति में केतन यादव की रचनाएँ-

गीतों में-
कुछ बोल दो ना
केवल राह तुम्हारी
ख्वाब सारे आसमानी

मृत्यु के दुष्कर क्षणों में 
वेदना के इन क्षणों में

 

कुछ बोल दो ना 

बेसुरे इस मौन‌ को अब छोड़ दो ना‌
कुछ बोल दो ना  

बिन तुम्हारे भी तुम्हीं से ही किए संवाद‌ कितने 
बाँध‌ तुम खुद‌ से गये और खुद रहे आजाद‌ कितने 
फिर मुझे चौंका दो आकार और सपने तोड़ दो‌ ना 
कुछ बोल दो ना  

द्वार की आहट बनी है आँख की मेरी निशानी‌
बादलों के बीच अटकी है कोई यादें पुरानी 
उन दिनों को आज जी लूँ रुख समय का मोड़‌ दो‌ ना 
कुछ  बोल दो ना  

वेदना के तार से झंकृत हुए रूठे से‌ लय में 
तुम रहे अक्षुण अखंडित इस मेरे टूटे हृदय में 
आज अपने से‌ लगा कर क्षत विक्षत उर जोड़ दो ना
कुछ  बोल दो ना

१ दिसंबर २०२२

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