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अनुभूति में केतन यादव की रचनाएँ-

गीतों में-
कुछ बोल दो ना
केवल राह तुम्हारी
ख्वाब सारे आसमानी

मृत्यु के दुष्कर क्षणों में 
वेदना के इन क्षणों में

 

ख्वाब सारे आसमानी

ख्वाब सारे आसमानी ढल गये अब

उम्र बीती जा रही है इक सदी में 
रोज ही गोता लगा पिछली नदी में 
फिर पलक में 
छिप गयी तस्वीर कोई 
आँख दोनों 
आँसुओं को छल गयीं जब
ख्वाब सारे आसमानी ढल गये अब

हैं सिहरते आज भी
रोएँ छुअन पर 
रेंगती हैं चीटियाँ
कँपते बदन पर 
खत पुराने देह जैसे 
थरथराते 
शब्द अक्षर आँसुओं में 
जल गए सब
ख्वाब सारे आसमानी ढल गये अब

१ दिसंबर २०२२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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