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अनुभूति में उषा राजे सक्सेना की रचनाएँ-

कविताओं में
अस्तित्व की पहचान
इंद्रधनुष
तितली उड़ी
पदचिह्न
पुनर्जनम
लंदन का वसंत
सर्मपण
यात्रा का आरंभ

अंजुमन में
जब भी कोई कहानी लिखना
ज़िन्दगी को स्वार्थ का
प्यार में भी कहीं
परिंदा याद का
फ़िज़ाँ का रंग
रात भर काला धुआँ

संकलन में-
ज्योति पर्व-दीपावली के आलोक मे
आशा के दीप
आलोक पर्व

  प्यार में भी कहीं

प्यार में भी कहीं कोई धोखा लगे
क्यों मुझे फूल भी आज काँटा लगे

दे मुझे इस तरह नर्म दिल ऐ खुदा
जो पराया दर्द भी मुझे अपना लगे

तुझसे कोई नहीं मेरा रिश्ता मगर
दिल से पूछूँ हूँ तो कोई रिश्ता लगे

तुझसे मिलते रहें, तुझसे मिलते रहें
हम मिले ही नहीं, फिर भी ऐसा लगे

मेरी आँखों में तू, मेरी नींदों में तू
तू वही शख़्स है जो कि सपना लगे

उससे मिलते हुए डर रहीं हूँ 'उषा'
मेरा मिलना उसे जाने कैसा लगे

 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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