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अनुभूति में सुरेन्द्रनाथ मेहरोत्रा
की रचनाएँ —


तुकांत में-
आज के अर्जुन का आत्मबोध
आज कैसे गीत गाऊँ
नीति पथ
बाद मरने के
वरदान यह दो
शंकर का वरद पुत्

साहिल पे सफीना

मुक्तकों में-
तीन मुक्तक

संकलन में-

ज्योति पर्व में–नमन दीप को सौ सौ बार
दिये जलाओ–रात रात भर

 

तीन मुक्तक


करम को पसारे नहीं हाथ मैंने
रहम की दुआ भी नहीं माँगता हूँ
गुनहगार हूँ मैं कसम मेरे आका
गुनाहों की अपनी सजा माँगता हूँ।।


है नयनों में इतनी जलधार, सैंकड़ों मरुधर बह जाएँगे
है अधरों में इतनी प्यास, सैंकड़ों सागर चुक जाएँगे
मत पूछो मेरे अरमानों की थाती में क्या है
कहते कहते युग बीत सेंकड़ों जाएँगे


जंगली विरवे में भी फूल खिलते है मगर
बेजार अपनी किस्मत से मुरझा भी नहीं पाते
अनचाहे खिलते रहते हैं मगर
अपनी चाहत से मुस्का भी नहीं पाते।।
 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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