अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में राहुल उपाध्याय की रचनाएँ —

छंद मुक्त में-
मरते दम तक
मौसम
मिलन
कहर
पहला प्यार
किनारे किनारे

 

पहला प्यार

कभी सुबह मिले
कभी शाम मिले
घंटों-घंटों हम
दिन-रात मिले
न गले लगे, न हाथ छुआ
और दिल?
दिल कुछ इस तरह से चाक हुआ
कि तर्क़ दूँ मैं सारी कायनात
गर फिर से वो लम्हात मिलें

कभी हाट में
कभी पेड़ तले
हम साथ हँसे
हम साथ चले
लब पर आ-आ के रुकती बात रही
और दिल?
दिल ने दिल से दिल की न बात कही
मैं रख दूँ खोल के दिल अपना
गर कहने को फिर वो बात मिले

कभी धूप में
कभी छाँव में
हम घूम-घूम के
सारे गाँव में
हँसते-हँसाते थे चार सू
और दिल?
दिल में आज भी है उनकी आरज़ू
मैं मान लूँ हर एक बात को
गर लौट के फिर वो आज मिलें

१६ फरवरी २००९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter