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अनुभूति में पुष्पा भार्गव की रचनाएँ —

छंदमुक्त में-
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तुलसी
निर्झर प्राण
मन
हवा और पानी
हिमपात

संकलन में-
ज्योतिपर्व– दीपों की माला
नया साल–
या वर्ष
होली है– होली (३)

 

तुलसी

तुलसी हुलसी सुत मानस में
तुम कौन सुधा रस छान भरी
एहि की धुनि नाहि रही घर लों
वह असीम–ससीम में गूँज परी
नभ ते प्रकटें हरि पाहन में
जग की मग–विपदा आन हरी
जब ते तुलसी रचि राम–कथा
बस राम ही राम पुकार उठी

८ सितंबर २००३

 

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