अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में हिम्मत मेहता की
रचनाएँ—

हास्य व्यंग्य में—
चाय का निमंत्रण

छंदमुक्त में—
असमंजस क्यों
कितना सुंदर है यह क्षण
कुछ बातें कही नहीं जातीं
तुमसे क्या माँगूँ भगवान
बात एक छोटी सी
भगवान से वार्तालाप
मन में
मेरा संशय

संकलन में-
दिये जलाओ- दूसरा दीपक

 

मेरा संशय

जब से तुम मेरे जीवन में आई हो
मेरे मानस पर छाई हो
एक शब्द भी कहा नहीं तुमने
एक पलक तक उठी नहीं मेरे मग में
फिर भी क्यों ऐसा लगता है मुझको
यह केवल मेरे मन का आविष्कार नहीं
या है? मैं संशय के पलड़ों पर बैठा
तीव्र वेदना और अनंतआनंद भरे सागर में
क्यों बार बार डूबा उबरा सा जाता हूँ?
तुम तो शायद कमल पत्र सम
भावुकता के जल से अछूत रह सकती हो
फिर क्यों (अपने अनजाने में?)
मेरे भीतर की गहराई को,
दूर दूर तक फैले
जाले से उलझे कोनों की अंतिम दूरी तक
तुम बार बार हलके से छू जाती हो?
और करोड़ो तारों की मन वीणा को
अपने नयनों के कोनों से तुम
बार बार धीमे से झंकृत कर
युग युग के सुमधुर कंपन से भर भर जाती हो?
कहीं इन भावों का अंकुर मेरा कल्पन मात्र नहीं
इसको सिंचित करने वाले निर्झर की
कल कल ध्वनि
केवल मेरे कानों का धोखा था?
और तुम्हारे नयनों में जो भाव पढ़े
वह साधारण से नमस्कार की छाया थी?
वह स्वागत की मुस्कान सभी के लिए
खिली ही रहती है?
या मैंने उस मंजुल मुस्काहट में
कभी एक संदेश छिपा सा देखा है?
तुम्हारी आंखों की गहराई में जो भाव दिखे
यदि वे केवल मेरे ही मन का प्रतिबिंबन है
यदि मेरे जीवन का भान तुम्हें
बस सदाचार के नाते है
और अगर अपनी दो क्षण की भेंट
तुम्हारे मन को विचलित, ज़र्ज़र ना कर जाती है
ना दिवा स्वप्न में खोकर
तुम कुछ चोरी से मुस्काती हो
तो मेरी है सौगंध तुम्हें ना यह आडंबर कभी छोड़ना,
मेरे संसय की डोर कभी तुम अनजाने भी नहीं तोड़ना।

१ दिसंबर २००४

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter