| अनुभूति में
                      प्रियव्रत चौधरी की रचनाएँ- 
                      गीतों में-चिकुर घनाली की जलधारा
 पत्तों के झोंकों का मौसम
 मेघागम की अवसन राका
 वर्षा की यह रिमझिम फुहार
 वर्षा की सीकर निहारिका
 संकलन
                      में- गुलमोहर- 
                      गुलमोहर खिला है
 
 |  | 
                      मेघागम की 
                      अवसन राका 
                       मेघागम की 
                      अवसन राकाबेसुध यह सावन की रजनी
 झिर झिर झिर झिरती निर्झरिणी
 आलिंगन में वीस्र्ध लतिका।
 
 नीलम की चादर में लिपटी
 विधु के भुज बंधन में सिमटी
 सपने में जगती निहारिका।
 
 मदिर निशा में जागर उन्मन
 लाज भरी नत चितवन चितवन
 अर्ध वसन में पाटलि कलिका।
 
 यह समीर अनुरंजित जलकण
 भर भर लाता चंचल चुंबन
 डाली डाली बकुल मालिका।
 
 २४ अगस्त २००६
 |