| 
                      अनुभूति में
                      प्रिया सैनी की रचनाएँ- कविताओं में-
 अहं की मीनार से
 कुछ भीगा भीगा
 जाओ तुम्हें आज़ाद किया
 जाने क्यों चुप हूँ
 तीन छोटी कविताएँ
 तेरे प्रेम का चंदन
 मेरा गुलमोहर उदास है
 मैं पिघलता लावा नहीं
 शाम से ढली हुई
 |  | 
                      मैं पिघलता लावा नहीं 
                      
 मैं पिघलता लावा नहीं
 जो थम जाए तो
 जम जाए
 मैं ठिठुरता जल नहीं
 जो जम जाए तो
 थम जाए
 मैं धधकती आग हूँ
 तुम्हारी कसौटी पर
 स्वयं को जलाती हूँ
 नये आकार बनाती हूँ!
 मैं उफनती नदी हूँ
 तुम्हारे संकरे रास्तों पर
 मीलों तक मचलती हूँ
 तुम रोकते हो
 मैं चलती हूँ
 बूँदों में ढलती हूँ
 टूटती हूँ, बिखरती हूँ
 रास्तों को सींचती हूँ
 मरू हूँ मैं बहार हूँ
 मैं तुम्हारा प्यार हूँ
 
                      १६ फरवरी २००६ 
                       |