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                      अनुभूति में
                      प्रिया सैनी की रचनाएँ- कविताओं में-
 अहं की मीनार से
 कुछ भीगा भीगा
 जाओ तुम्हें आज़ाद किया
 जाने क्यों चुप हूँ
 तीन छोटी कविताएँ
 तेरे प्रेम का चंदन
 मेरा गुलमोहर उदास है
 मैं पिघलता लावा नहीं
 शाम से ढली हुई
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                      जाने क्यों चुप हूँ
 जाने क्यों चुप हूँ
 उदास सी हूँ
 ख्वाबों की खुली हुई
 खाली किताब सी हूँ।
 
 बिखरे हुए हैं शब्द
 जुल्फ़ों के तंग दायरे में
 मैं तेरी आहट के
 जवाब सी हूँ!
 
 चीड़ों सी चढ़ती हूँ
 घाटी सी उतर आती हूँ
 मैं भी कोई भटकती
 चंचल चिनाब सी हूँ!
 
 चाँदी की चिनार पर
 चाँद पलटा रुक गया
 मैं तेरी आँखों में
 छुपे ख्वाब सी हूँ!
 
 १६ फरवरी २००६
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