| नई रुत 
इस नई रुत में नया क्या हैसात रंगों में सजा क्या है
 घर में आधी रात को उठकरदेखता हूँ मैं बचा क्या है
 ऐसा बँटवारा हुआ लोगोहाथ मलते सब मिला क्या है
 भागती इक भीड़ है बेदमपूछते हैं सब हुआ क्या है
 मत फरिश्ता कहना बच्चों कोचौंकते हैं ये बला क्या है
 सो गए हैं रहनुमा सारेऐ खुदा ये माजरा क्या है
 सुब्हदम दिल तो धुआँ देगारात भर आखिर जला क्या है
 मैंने अपनी बात तो रख दीजान लूँ तुमने सुना क्या है
 लिखनी है गर प्यार की चिट्ठीसोचता क्यों कायदा क्या है
 होंठों में जो गुड़ रखा थोड़ाखोल मुँह देखूँ घुला क्या है
 चूम कर रोनी सी क्यों सूरत इसमें इतना भी बुरा क्या है
 लड़कियाँ कुछ दोस्त हैं मेरीपूछती हैं दिल भला क्या है
 अब कहाँ रखते जुबाँ हम भीतू भी मत कह मुद्दा क्या है
 खोजती बीमार इक सरकारअच्छे लोगों की दवा क्या है
 रोज़ देता मौत की धमकीएक दिन उसको बुला क्या है
 एक मन को मारते सौ बार इन गुनाहों की सज़ा क्या है
 आसमाँ में चाँद सूरज सब इस ज़मीं पर फिर ढला क्या है
 प्यार तो मिलता मिलो जब भीजाऊँ करनी इत्तिला क्या है
 देखता है कौन अब किसकोदेखते हैं सब मिला क्या है
 माँग लो सबकी खुशी इसमेंइक दुआ है दूसरा क्या है
 दोस्त इस दुख का पता मत पूछमेरे पास इसके सिवा क्या है
 तेरा खत है ज़िंदगी तेरीदेख लूँ फिर भी लिखा क्या है
 बोलता रख होंठों की चिट्ठीबाद में पढ़ना लिखा क्या है
 ठीक है दिल में है कोई तोमुझको आँखों में सुला क्या है
 जिससे है रिश्ता नहीं कोईपूछता आकर बना क्या है
 प्यार से पहले नहीं सोचाप्यार कर अब सोचना क्या है
 चल दिए जब देख तेरी राहरास्ता फिर देखना क्या है
 दिल है तेरा बंद मुट्ठी-साबंद मुट्ठी में बता क्या है
 रात सीने पर रखे थे होंठअलसुबह देखो उगा क्या है
 बात मानों कहता इक बच्चा तुमको इसका तजुर्बा क्या है
 उठ रहे हैं शामियाने अबइस गली में झाँकता क्या है
 था यहीं तब तो नहीं आयाजा चुका फिर ढूँढता क्या है
 इसका क्यों अफ़सोस हो कोईदरमियाँ अपने रहा क्या है
 पूछता है चूम कर पलकेंरात सपने में लिखा क्या है
 शब झलकते जिस्म के अक्षरदेखता हूँ अनपढ़ा क्या है
 आदमी की इस खुदाई मेंआदमी का आसरा क्या है
 नाम पर इनसान के रोताबैल-सा हल में जुता क्या है
 मैं तो हूँ अपनी जगह मौजूदहर जगह मेरी जगह क्या है
 किसलिए आँखों में ये शबनमहँसते-हँसते दिल भरा क्या है
 फिर से है दर पर लगा तालादेख ताले में लगा क्या है
 सब खुले बाज़ार ने खोलाभाव साँसों का खुला क्या है
 धूप में बैठे हुए बेकारचल रही दस्ते सबा क्या है
 मारना है मार फिर देना सुन तो लो वो कह रहा क्या है
 राह जिसकी देखता कबसेले खबर घर से चला क्या है
 चाँद हो जाता सुबह सूरजएक बच्चे ने लिखा क्या है
 जानते हैं फिर भी कहते हैंकहने से भी फ़ायदा क्या है
 वो तुम्हारे साथ था अब तकअब उसे देता सदा क्या है
 कोई कह दे तो न रख उँगली'देख होंठों पर लगा क्या है'
 कौड़ियाँ नाराज़ हैं इससेमोल में उनके बिका क्या है
 इसलिए शर्तें लगाते हैंइस जहाँ में शर्तिया क्या है
 खिंच रहे हैं सब उसी जानिबइतने परदों में छुपा क्या है
 बात मुझसे बंद है कबसेबंद होंठों से जगा क्या है
 क्या करें बच्चे गुलेलों काइन दरख्तों पर फला क्या है
 खंडहर कितना बड़ा हो क्यातेरे पीछे रह गया क्या है
 ज़िंदगी अहसास बस इसकाउसके जाने पर रहा क्या है
 है कहाँ कुछ जान या पहचानखाल के भीतर भरा क्या है
 फिर दबा कर थाहता कोईसीने के भीतर दबा क्या है
 ज़िक्र जिसका सारी महफ़िल मेंउठ के देखो चल दिया क्या है
 प्यार तो इक रोशनी की खोजरोशनी में खोजता क्या है
 तयशुदा है हम तरक्की परहर तरफ़ फिर गुमशुदा क्या है
 तू नहीं तो धूप राहों परनर्म साये सा तना क्या है
 उस नज़र-सा कुछ कहाँ रोशनउसकी यादों-सा घना क्या है
 पहले-पहले मिलता जो कोईदेखती वह देखता क्या है
 मुसकुरा कर पा ली इक मुसकानआशना नाआशना क्या है
 दस्तकें दे थक के दर से लगतू खुदा है सुन रहा क्या है
 दो घड़ी रहना हरे मत तोड़ज़र्द पत्ते ही बिछा क्या है
 है ये हाहाकार या जयकारहरसू उठता शोर-सा क्या है
 भूल जाता नाम तो कहतानाम में आखिर रखा क्या है
 इक कड़ी को समझूँ तो पहलेक्या बताऊँ सिलसिला क्या है
 बिन रुके शब भर गिरी शबनमदिन ने फिर देखा खिला क्या है
 ज़हर या अमरित हो चाहे कुछहोंठों पे रख दे ज़रा क्या है
 हूँ सुकूँ मैं पास अपने देखगलियों गलियों झाँकता क्या है
 आइने में भी वहीं आँखेंआँखें हैं तो आइना क्या है
 सारी गुलशन मिल गई जिसकोअब उसे छूना मना क्या है
 ज़िंदगी के साथ चलता हूँदेखें सब उसने चुना क्या है
 दर्द हमदर्दी दुआ या दिलकुछ किसी से माँगना क्या है
 अब नहीं कोई किसी का भीमन मगर ये मानता क्या है
 बीते कल के ज़र्द पन्ने भीसोने जैसा तौलता क्या है
 जोड़ मत रिश्ते बुने कितनेदेख रिश्तों में बुना क्या है
 सूख जाएँगे हवा में आपज़ख्मों को यों बाँधना क्या है
 धड़कनों को साँसों से मत छूआग को देना हवा क्या है
 हँसती है सुनकर ग़ज़ल मेरी रोने गाने से बना क्या है
 दिल से भी ज़्यादा है जो उजड़ीऐसी बस्ती में बसा क्या है
 इसमें कोई सुई न धागा हीदेख होंठों ने सिला क्या है
 चाँद कब है चाँदनी के पासचाँदनी में चाँद-सा क्या है
 रस्ते-रस्ते लोग हैं कितनेसाथ होने में लगा क्या है
 बावला-सा पूछता सबसेतू बता मेरा पता क्या है
 नींद में फिर मेरे सीने मेंतेरी पलकों-सा चुभा क्या है
 है ठिठोली उसकी जो पूछेकुछ किए बिन ही हुआ क्या है
 तकते-तकते पा लिया खुद कोअब तू चाहे आ न आ क्या है
 पलकों के पीछे जगा है कौनआँखों के आगे गिरा क्या है
 सामने वो कब नहीं रहतासच का करना सामना क्या है
 टूट कर ही जानता कोईटूट कर बनना भला क्या है
 दुनिया भर में प्यार को देखूँमुझको वह करवट दिला क्या है
 कहता है कह कर ज़रा देखोसुनता कोई सुन रहा क्या है
 पूछता छू कर ज़रा देखूँकहता वो छूना ज़रा क्या है
 है ढला सोने-सा तेरा जिस्मजिस्म में तेरे ढला क्या है
 कौन इस मिट्टी से है जाताउस फलक से लौटता क्या है
 है किसी अनजान की दावतदोस्त तेरा मशवरा क्या है
 मुख्तलिफ़ कितनी जुबानें हैंशायरी का तर्जुमा क्या है
 आया था अच्छा गया अच्छाइसमें कुछ शिकवा गिला क्या है
 आँसू पीते ऐसा क्यों चेहराइसमें इतना भी बुरा क्या है
 सिर पे है जिसको बिठा रक्खापाँव भी उसके दबा क्या है
 घर बने हैं दश्तो-सहरा मेंरह के भी कोई डरा क्या है
 दूर से उस शहर का है खौफ़आ के फिर कोई फिरा क्या है
 जानता हूँ हो चुका पहलेबोल भी दे फ़ैसला क्या है
 है ख़बर सबको पता लेकिनअपने होंठों से बता क्या है
 बाँटता हूँ जो मिला सबसेक्या किया है और दिया क्या है
 मेरे बदले जी रहा है कौनमैंने बदले में जिया क्या है
 आसमाँ या आशियाँ कुछ भीहम न जानें ऐ बया क्या है
 होंठ भर रख दे हथेली परना मैं पूछूँ ना बता क्या है
 सोचकर अपना बनाते सबअपनेपन से फ़ायदा क्या है
 तेरी चिट्ठी या कि दिल मेराजेब के भीतर गला क्या है
 रख वफ़ा की उनसे ही उम्मीदजो नहीं जानें वफ़ा क्या है
 रंगो - बू मेरा पसीना थाआज इसमें मिल गया क्या है
 हर सिरे से जल रहा इंसानफिर भी बुझता जा रहा क्या है
 बावला इक रास्ते के बीचहाथ उठा कर माँगता क्या है
 जो पढ़ाता है अमन का पाठउसके दामन में सना क्या है
 आखिरी मंज़िल पे पूछे वोइसके आगे रास्ता क्या है
 तू नहीं फिर भी खुले हैं दरवक्त आए जाएगा क्या है
 हर कोई उसकी तरह लगताजाते-जाते कर गया क्या है
 यार हरदम यार रहते हैंरुख जिधर बदले हवा क्या है
 सोचती हो मुझको ही हर पलमुझपे ही वो जाएगा क्या है
 बढ़ते फिर खंजर लिए वहशीनन्हे बच्चे खिलखिला क्या है
 दूरियाँ लिपटी हैं पाँवों सेचल रहे तो फ़ासला क्या है
 दो तपिश सूरज को कुछ अपनीसर्द आहों से हुआ क्या है
 इक ग़ज़ल के सौ से ज़्यादा शेर कह रहा 'अनिमेष' क्या-क्या है
 ३१ मार्च २००८ |