| परदा इतना झीना 
                  कैसा? छोड़ो भी यह जीना कैसा?हँस के आँसू पीना कैसा?
 जीवन की हर एक कतरन कोआशाओं से सीना कैसा?
 प्यास रही ना भीतर जब तोफिर सागर औ' मीना कैसा?
 अंगारों के हम हैं आदीमौसम भीना-भीना कैसा?
 जहाँ झुके सर वही खुदा हैमक्का औ' मदीना कैसा?
 घर की चर्चा चौराहे परपरदा इतना झीना कैसा?
 १६ अक्तूबर २००५   |