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अनुभूति में नरेश सक्सेना की रचनाएँ-

गीतों में-
आज साँझ मन टूटे

फूले फूल बबूल
बैठे हैं दो टीले
साँकल खनकाएगा कौन
सूनी संझा झाँके चाँद

छंदमुक्त में-
ईटें
उसे ले गए
कांक्रीट
कविताएँ
देखता हूँ अँधेरे में अँधेरा

क्षणिकाओं में--
आघात
कुछ लोग
सीढ़ी
दरार
पानी
दीमकें

 

फूले फूल बबूल

फूले फूल बबूल कौन सुख,
अनफूले कचनार

वही शाम पीले पत्तों की
गुमसुम और उदास
वही रोज़ का मन का कुछ-
खो जाने का एहसास

टाँग रही है मन को एक नुकीले खालीपन से
बहुत दूर चिड़ियों की कोई
उड़ती हुई कतार

जाने; कैसी-कैसी बातें
सुना रहे सन्नाटे
सुन कर सचमुच अंग-अंग में
उग आते हैं काँटें

बदहवास, गिरती-पड़ती-सी; लगीं दौड़ने मन में-
अजब-अजब विकृतियाँ अपने
वस्त्र उतार-उतार

१४ जनवरी २०१३

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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