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                     अनुभूति में
                    दीपक 
                    राज कुकरेजा की रचनाएँ- 
                    नई कविताएँ- 
                    
                    तिजोरी भरी दिल है खाली 
                    
                    दिल के चिराग 
                    
                    सपने तो जागते हुए भी 
                    कविताओं में- 
                    एक पल में 
                    कविता 
                  
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 सपने तो जागते हुए भी 
सपने तो जागते हुए भी 
लोग बहुत देखते हैं 
उनके पूरे न होने पर 
अपने ही मन को सताते हैं 
जो पूरे न हो सकें ऐसे सपने देखकर 
पूरा न होने पर बेबसी जताते हैं 
अपनी नाकामी की हवा से 
अपने ही दिल के चिराग बुझाते हैं  
खौफ का माहौल चारों और बनाकर 
आदमी ढूँढ़ते हैं चैन 
पर वह कैसे मिल सकता है 
जब उसकी चाहत भी होती आधी-अधूरी 
फिर भी वह ज़िंदा दिल होते हैं लोग 
जो ज़िंदगी की जंग में 
चलते जाते है 
क्या खोया-पाया इससे नहीं रखते वास्ता  
अपने दिल के चिराग खुद ही जलाते हैं  
तय करते हैं मस्ती से मंज़िल की दूरी 
16 दिसंबर 2007 
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