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अनुभूति में सुरेश कुमार उत्साही की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अगर ख्वाब का प्यार
इतना चिंतन किया धरा पर
नहीं ज्ञान बाँटो
पड़ी है बीच में नैया
बुढापा आ गया अब तो
मिला जो दर्द मुझको है

 

पड़ी है बीच में नैया

पड़ी है बीच में नैया हमें आकर बचाते तुम
हमें विश्वास तुम पर है, कृपा अपनी दिखाते तुम

बहे ऐसी पवन जग में बिखर कोई नहीं पाये
फटी जो प्रेम की चादर, उसी को फिर सिलाते तुम

लगाते हम रहे गोते, बिना परवाह के अक्सर
कभी इक बार आके तो, वही गंगा बहाते तुम

खड़े मधुवन की गलियों में, पुकारा हम तुम्हें करते
समझ नादान लेते फिर, वही बंसी बजाते तुम

बुझे हैं ज्ञान के दीपक, खड़े हम तो अँधेरे में
समझते ईश जब अपना, स्वयम दीपक जलाते तुम

जमाने ने उजाड़ा है, खिला था जो कभी उपवन
भुलाकर बात मेरी सब, दुबारा फिर सजाते तुम

गरीबों को जहां में तो, मिली हर राह पर ठोकर
झुका मस्तक हमारा है, नहीं अब तो सताते तुम

१५ मार्च २०१७

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