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अनुभूति में सुरेश कुमार उत्साही की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अगर ख्वाब का प्यार
इतना चिंतन किया धरा पर
नहीं ज्ञान बाँटो
पड़ी है बीच में नैया
बुढापा आ गया अब तो
मिला जो दर्द मुझको है

 

अगर ख्वाब का प्यार

अगर ख्वाब का प्यार खिलता जमीं पर
कहीं बेवफाई न होती नमी पर

सभी को मुहब्बत लगाती गले से
बिछुड़ते नहीं फिर, वफ़ा की कमी पर

गई बीत लाखों युगों की कहानी
मुहब्बत बिकी है हमेशा रमी पर

लगाई थी हमने, मुहब्ब्त की बोली
पड़ी चाल उलटी, यहाँ तो हमीं पर

कहाँ चाँदनी तुम छिपाती रहोगी
पुकारे सदा तू सनम आ जमीं पर

१५ मार्च २०१७

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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