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अनुभूति में सत्यशील राम त्रिपाठी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अँधेरी रात में
एक हरक़त
कहीं पर कट रहे आराम
धीरे धीरे
न बजती बाँसुरी
 

'

एक हरक़त

एक हरक़त क्या से क्या करवा रही
ये मोहब्बत क्या से क्या करवा रही

चाहता था एक अपना घर रहे
एक चाहत क्या से क्या करवा रही

प्यार की गफलत में हम उनसे मिले
और गफलत क्या से क्या करवा रही

सोचता था कर्म है सबसे बड़ा
और किस्मत क्या से क्या करवा रही

उनकी सूरत में फँसे, सूरत गए
हाय! सूरत क्या से क्या करवा रही
     
१ मई २०२३

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