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अनुभूति में रमा प्रवीर वर्मा की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
कहो जो भी
ख्वाब था जो
दिल किसी का
वो याद बन के
हाल दिल का

अंजुमन में-
अगर प्यार से
काम जब बनता नहीं
क्या खबर थी
तुमको सदा माँगते हैं
दिल ये चाहता है
नहीं मुश्किल
बस यही इक गम रहा
बात बने
मत खराब कर
यों न फासला रखना

  ख्वाब था जो

ख्वाब था जो अब उसे सच कर दिया मैंने
जिंदगी को हौसलों से भर दिया मैंने

तोड़कर हर एक साया अब उदासी का
जिंदगी को इक हसीं मंजर दिया मैंने

छीन ली जब इस जमाने ने जमीं मुझसे
आसमां पर पाँव अपना धर दिया मैंने

था सवालों से घिरा हर रास्ता मेरा
आ गया जब वक्त तो उत्तर दिया मैंने

दर्द रह रह कर छलक आता है पलकों पर
जख्म अपने दिल को खुद अक्सर दिया मैंने

रोक सकते हो तो आकर रोक लो मुझको
आपको फिर से नया अवसर दिया मैंने

दिल रमा उसको नगीने सा दिया था पर
आज तक कहता है वह पत्थर दिया मैंने

१ अगस्त २०२२

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