अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में रमा प्रवीर वर्मा की रचनाएँ-

नयी रचनओं में
काम जब बनता नहीं
क्या खबर थी
दिल ये चाहता है
बस यही इक गम रहा
मत खराब कर

अंजुमन में-
अगर प्यार से
तुमको सदा माँगते हैं
नहीं मुश्किल
बात बने
यों न फासला रखना

  बात बने

वो निगाहों से पिलाये तो कोई बात बने
तिश्नगी दिल की बुझाये तो कोई बात बने।

यों तो ख़्वाबों में कई बार चले आते हैं
वो कभी सामने आये तो कोई बात बने।

दिल है बेज़ार बहुत दर्द भी हद से गुज़रा
सब गिले शिकवे भुलाये तो कोई बात बने

उसने नफरत के अँधेरे ही तो बाँटे हरदम
प्यार दिल से भी जताये तो कोई बात बने

राहबर हमको मिले राह में कितने अबतक
जिंदगी भर जो निभाये तो कोई बात बने

आरजू दिल में "रमा" आज है बस इतनी सी
सोये अहसास जगाये तो कोई बात बने

१५ फरवरी २०१७

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter