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अनुभूति में मंजुल मंजर की रचनाएँ-

अंजुमन में-
किसी बशर से
कैसे अंदाज़ लगे
दिल से तस्वीर
फिर से अच्छे हुए हालात
वो नफरतों से

 

फिर से अच्छे हुए हालात

फिर से अच्छे हुए हालात बड़ी मुश्किल से।
प्यार की पाई है सौगात बड़ी मुश्किल से।

एक मुद्दत से अकेला ही फिरा करता था
आज हो पाई मुलाकात बड़ी मुश्किल से।

रूबरू आज वो आए तो मैं दिल खो बैठा
मैंने बस में किए जज़्बात बड़ी मुश्किल से।

ज़िंदगी भर मैं लड़ा हूँ तो हुए हैं काबू
सारे हालातो बयानात बड़ी मुश्किल से।

मैंने ख्वाबों में सहेजा है जिन्हें बरसों तक
आज आए हैं वो लम्हात बड़ी मुश्किल से।  

१ जून २०१९

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