अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अमित खरे की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
एकतरफा
गांधारी
प्यार
विषकन्या
संबन्ध
 




 

 

प्यार

एक दिन योंही, खेल खेल में
उसने मेरी हथेली पर लिख दिया था
'प्यार'।
और फिर कई दिनों तक
मैंने वुज़ू नहीं किया

मासूम था मैं
नहीं जानता था
कि नहीं लिखा खुदा ने जो लकीरों में
उसे कब तक रख सकता है कोई
हथेलियों में

अब समझ गया हूँ
और रख लिया है, इसे दुआओं में
महफूज़ है यह जगह

१ जुलाई २०२२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter