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अनुभूति में विशाल शर्मा की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
एक नदी बहती है
कुहासा
यादें

संकलन में-
दिये जलाओ- दीप माला

 

एक नदी बहती है

एक नदी बहती है
अविरत निश्चल
तट पर अविचल
कल कल करती है।
एक नदी बहती है।।

हिमाद्रि की श्रंखला से
पर्वतों की कंदरा से
संकीर्ण घाटियों से
विस्तृत मैदानों में
सागर से मिलती है।
एक नदी बहती है।।

प्रज्वलित ज्योति का
उल्लसित जीवन का
आभास देती है।
एक नदी बहती है।।

२४ अक्तूबर २००४

 

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