दीपमाला
कोई दीप
ऐसा जलाया तो जाए
धरा के
तम को मिटाया तो जाए
ये उत्सव है
दीपों का
नयी नयी रीतों का
प्रेम मिश्रित मोदक
एकानन को चढ़ाया तो जाए
किसी घर अँधेरा
किसी घर उजाला
कहीं है गरीबी
कहीं बहती हाला
अनाचार जग से हटाया तो जाए
ये पूजन है
लक्ष्मी का
धन–धान्य वैभव का
इस दीवाली को
द्वेष रहित मनाया तो जाए
रहे ना घरों में
कहीं भी अँधेरा
मुस्कान लब पर
खिलखिलाए हर चेहरा
दीपमाला को ऐसा सजाया तो जाए
—विशाल शर्मा
|