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दीपावली महोत्सव
२००४

दिये जलाओ
संकलन

           हे मानस के राम

Ñ1

हे मानस के राम
तुम्हारा अभिनंदन है
आज हृदय के नंदनवन में
रचा सत्य का विजय पर्व है
देखो नेह भरे दीपक में
राम राज्य का सुभग–सर्ग है
हे मानस के राम
तुम्हारा अभिनंदन है
1
झिलमिल दीप जलाए आँखें
राह तुम्हारी ताक रही है
आज नए युग की परिभाषा
चरित तुम्हारा माँग रही है
आज तुम्हारे दरस परस को
लगा आस हर जीवन जन है
हे मानस के राम
तुम्हारा अभिनंदन है
1
कितनी बार जलाए रावण
मिटा नहीं मन का कलंक पर
उत्पातों के बीच फँसा है
आज धर्म इस धरा अंक पर
साथ अगर तुम आओ देखें–
रावन कितना अजर–अमर है
हे मानस के राम
तुम्हारा अभिनंदन है
1
—जया पाठक

 

दीपमाला

कोई दीप
ऐसा जलाया तो जाए
धरा के
तम को मिटाया तो जाए

 

ये उत्सव है
दीपों का
नयी नयी रीतों का
प्रेम मिश्रित मोदक
एकानन को चढ़ाया तो जाए

किसी घर अँधेरा
किसी घर उजाला
कहीं है गरीबी
कहीं बहती हाला
अनाचार जग से हटाया तो जाए
 

ये पूजन है
लक्ष्मी का
धन–धान्य वैभव का
इस दीवाली को
द्वेष रहित मनाया तो जाए

 

रहे ना घरों में
कहीं भी अँधेरा
मुस्कान लब पर
खिलखिलाए हर चेहरा
दीपमाला को ऐसा सजाया तो जाए

—विशाल शर्मा

     

 

 

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